अंगार
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जब मशाल जलाई थी
तब हम
बहुत सारे थे,
आग फैली
तो पता चला
सबको अपने घर प्यारे थे.
जब आग के दरिया में उतरा
तब मेरे साथ उतरे
बहुत सारे थे
पार पहुंचा तो देखा,
वो अभी तक खड़े
उसी किनारे थे.
मंजिल पे पहुँच के मुड़ा
तो पाया
खुद को अकेला,
‘राज’ समझ नहीं पाया
भाग गए कहाँ,
मीर जाफ़र सारे थे.
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