Menu
blogid : 3502 postid : 772

मेरे हमनवाज

अंगार
अंगार
  • 84 Posts
  • 1564 Comments

जब मशाल जलाई थी

तब हम

बहुत सारे थे,
आग फैली

तो पता चला

सबको अपने घर प्यारे थे.


 

जब आग के दरिया में उतरा

तब मेरे साथ उतरे

बहुत सारे थे

पार पहुंचा तो देखा,

वो अभी तक खड़े

उसी किनारे थे.

 

मंजिल पे पहुँच के मुड़ा

तो पाया

खुद को अकेला,
‘राज’ समझ नहीं पाया

भाग गए कहाँ,
मीर जाफ़र सारे थे.

 

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to Alkar GuptaCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh