अंगार
- 84 Posts
- 1564 Comments
उनको बख्शी खुदा ने सूरत,
और हमको दी है दीद,
बरबस कह बैठे लाजवाब,
तो ‘राज’ की इसमें बात क्या है.
जिंदगी बीत गयी बेनूर,
न जाने किस नशे में,
हाँ जब वो करीब आये थे,
‘राज’ क्या नया सुरूर छाया था.
रुक तो जाते दो लम्हों को,
बात भी कर लेते तुमसे,
‘राज’ फाश से बेहतर,
चंद फासले अच्छे लगते हैं.
‘राज’ मिट गया है वो,
जो लिखा था किसी ने स्याही से,
न मिटेगा जिंदगी भर जो तुम,
दिल पे हमारे नश्तर से लिखो.
@ ‘राज’
Read Comments