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वार्तालाप

अंगार
अंगार
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दूसरा : आज फेसबुक से नदारद हैं आप|
पहला : ऐसा कुछ नहीं है……और कैसे हो?
दूसरा : अच्छा हूँ | आपने तो धमाल मचा दिया है……………| मैं भी कुछ वैसा ही बवाल कर आया हूँ………….|
पहला : …… तो ….धमाल ही धमाल है…….वैसे मेरी पूरी कोशिश है कि तुम छा जाओ ….
जरा दो मिनट….
दूसरा : अच्छा लग रहा है बस यूँ ही लगे रहें हम दोनों
पहला : हाँ, बस दो मिनट और…
दूसरा : ok
………..
पहला : हाँ बोलो ….
दूसरा : (गहरी साँस)….बड़े लंबे दो मिनट थे आपके…
पहला : हाँ कुछ जरूरी काम था…
दूसरा : वो तो सबसे ज़रूरी है.
पहला : क्या करें नौकरी तो नौकरी ही होती है….
दूसरा : मुझे लगता है पहली पोस्ट …….. ज़्यादा अच्छी रही|
पहला : वो भी अच्छी थी और ये भी अच्छी है……
दूसरा : जी बिलकुल
पहला : जैसे ………लिखा था तो उसे बहुत कम रेस्पोंस मिला, लेकिन अगले ही दिन वो अखबार में छपा था…
दूसरा : अच्छी से मेरा मतलब था वो ज़्यादा कमेन्ट पा गयी और अगर आप न होते तो …….. में तो निराशा ही हाथ लगती|
पहला : बिलकुल मेरे इसी लेख की तर्ज पर ही २-३ दिन पहले एक आर्टिकल भी छपा था….
दूसरा : ये ससुरा ……. टूं* …….. तो लोगों की भद्दी कॉपी कर रहा है और खुद ही कमेन्ट मारे जा रहा है|
पहला : वैसे तो कमेन्ट का लेख के स्टैण्डर्ड से कोई लेना-देना नहीं है पर हाँ इस बहाने ज्यादा लोग पढ़ लेते हैं…
दूसरा : जी-जी वही मतलब था मेरा|
पहला : अभी ……टूं*………कुँए का मेंढक है, उसे अभी बहुत दुनिया देखनी है……
दूसरा : कूपमण्डूक वहीं रह जाएगा| 🙂
तो आज आप खाली रहेंगे…?
पहला : आज तो एक शादी में जाना है, देखते हैं कब वक्त मिलता है…
दूसरा : चलिए फिर कभी सही..
पहला : अगर समय मिला तो मैं कॉल करूँगा.
दूसरा : जी बिलकुल.मैं तो खाली ही रहूँगा|
दूसरा : अच्छा भईया घर जाने का वक़्त हो चला है|फिर मिलते हैं|take care and also take ……..
पहला : ठीक है…
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पहला : कहाँ हो आज..
दूसरा : आज काफ़ी व्यस्त था| मगर अब ख़ाली हूँ| कैसे हैं आप?
पहला : बस दुआ है भाई आप की
दूसरा : दुआ के अलावा और करें भी तो क्या? ये …………………फ़रवरी की पोस्ट में दूंगा|
पहला : हाँ ये ठीक रहेगा…..आज एक लेख डाला है….जरा नजरें इनायत कर लेना……उम्मीद है तुम्हें पसंद आएगा…….
दूसरा : बिलकुल-बिलकुल|आप लिखें और हमें पसंद न आये , भई क्यूँ न आये,क्यूँ न आये|
सारी प्रेज़ेन्टेशन वैसी ही रहेगी बस……….| उसे भी लगा कर लिखा था और चार-पांच दिन पहले इसे भी लगा कर….दिल…. लिख डाला|
पहला : लगा कर……दिल…… लिखने से फीलिंग्स आती हैं…….क्यों….ठीक कहा ना….
दूसरा : सही कहा..लगा कर ही …………. है| 🙂
पहला : इस लेख को पढ़ कर तुम्हारा खून खौलेगा नहीं बल्कि बढ़ जाएगा……..
दूसरा : अच्छी बात है हमें उसकी ज़रूरत भी है……….. कर काफ़ी जला लिया है|
पहला : लगा कर गाने से सुर भी अच्छे लगते हैं, आलाप भी…..
दूसरा : हा हा हा… लगाने के बाद उसी में डूब जाते हैं|
पहला : वैसे मेरा ये लेख अगर …………ने पढ़ लिया तो उसका खून जरूर खौल जाएगा……अगर उसकी खोपड़ी में घुसेगा तो………….
दूसरा : हूँ देखता हूँ अभी…
पहला : देखो-देखो……दिल देके देखो जी……
दूसरा : दिल लेने वालों दिल देना सीखो जी
पहला : ओए होए ….

……..थोड़ी देर की चुप्पी………….

पहला : कहाँ खो गए भईया, लेख में डूब गए क्या……
दूसरा : कंप्यूटर हैंग कर गया था| अभी अभी पढ़ा पहला मज़ा आया| न चाह कर भी हंसी आ जा रही थी|और अब टिप्पणियां देख रहा हूँ|
पहला : देखो-२ दिल देके देखो……..
दूसरा : अब समझ आया गाने का मतलब…. हा हा हा..
पहला : ही…..ही……..
दूसरा : सच कहता हूँ…आप के साथ वक़्त कब गुज़र जाता है पता ही नहीं चलता|आपसे पहले क्यों नहीं मिला..
पहला : तुमसे मिलकर ना जाने क्यूँ……….
दूसरा : बिलकुल निशाने पर तीर मारते हैं आप..आपको तो द्रोणाचार्य के साथ अर्जुन अवार्ड भी मिलना चाहिए…हे हे हे
वैसे ………….. पर मैंने भी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया है..ओह आपको क्या बताना आप ही का तो आइडिया है ये..
पहला : नहीं-नहीं भईया …..हमारी अर्जुन वाली उम्र गई…….
दूसरा : अरे … ऐसा हरगिज़ न कहिये…दिल तो बच्चा है जी…
पहला : ये ना थी हमारी किस्मत के विसाले यार होता, गर और जीते रहते यही इंतजार होता….
दूसरा : एक पोस्ट डाल रहा हूँ आज और अगली यानि कि………..तारीख को करूँगा
पहला : मोस्ट वेलकम, मजा आएगा…..
दूसरा :
कहूँ किससे मैं के क्या है ;
शबे गम बुरी बला है…
ये खलिश कहाँ से आती
जो जिगर न चाक होता;
कुछ अल्फाज़ गड़पहला गए हैं लगता है..
पहला : कोई बात नहीं, अभी कुछ लगाया नहीं है ना,….
दूसरा : आज जो डाल रहा हूँ वोह एक बार डाला था फिर भी इस भीड़ में …..धीरे से पोस्ट कर देता हूँ.
सिर्फ़ रात में ही…दिन का काम सिर्फ़ होली को और कहीं छुट्टियों में शहर से बाहर होने पर ही…
पहला : हाँ …धीरे से डालना जंक्शन पे ..हो…..ओ …रचना……….
दूसरा : आप तो हंसा के लोटपोट कर डालते हैं…
पहला : अब तो लोट-पोट आती भी नहीं है…..
दूसरा : उसकी कमी महसूस होती है…वोह मोटू पतलू, घसीटा राम, डॉ. झटका सब को मिस करता हूँ|
पहला : वो २४ सालों का तजुर्बा…….
दूसरा : बिलकुल…….साथ ही मधु-मुस्कान भी बंद हो गयी… वो डैडी जी और जोजो, सुस्तराम-चुस्तराम, डाकू पान सिंह.
पहला : ये दौलत भी लेलो ये शोहरत भी लेलो……..
दूसरा : इसीलिये तो ये ग़ज़ल इतनी अज़ीज़ है…..वो दिन अब किसी भी क़ीमत पर हासिल नहीं हो सकते.
पहला : वैसे कोई अगर कामिक्स का शौक़ीन है तो इ-स्निप्स पर पुराने कामिक्स का पहला जबरदस्त कलेक्शन है…….
दूसरा : ज़रूर देखूँगा. अक्सर जो कहीं नहीं मिलता वो esnips पर मिल जाता है..|
पहला : मुझे टाइम लगा तो मैं लिंक बता दूंगा ……मैंने खुद काफी डाऊनलोड किये हैं………..
दूसरा : ठीक है मगर मेरे मेल अकाऊंट पर भेजियेगा|
पहला : …………ने अभी अभी दिया कमेन्ट किया है – ….मजा आ गया पढके……. आप अपनी उस दुर्लभ रचना को दुर्लभ ही रहने दे .. आपका आभार ………. और हमें अपनी हड्डियों से अपार प्रेम है..

दूसरा : पढ़ लिया है………..मैंने भी कर दिया है..
पहला : इसका मतलब लोगों को मजा आ रहा है, पर वो…………..उसने भी पढ़ा होगा?
दूसरा : पढ़ा भी होगा तो बाल नोच रहा होगा मगर शीर्षक देख कर ही भड़क गया होगा|
पहला : जिसने मेरे भाई को…….. उसे तो ऐसा लपेटूंगा कि …………
दूसरा : किसने किसको……… है…?
पहला : अगर उसने अपने बाल नोच लिए तो मेरी वो बात भी सत्य हो जायेगी कि मेरा लेख पढ़ कर लोग आत्म-केशलोचन कर लेते हैं………भूल गए क्या ………
दूसरा : बिलकुल सही… वैसे ……….बात ऊपर से गुज़र गयी..
पहला : अरे यार तुम भूल गए…तुमने ही तो लिखा था कि ……पढकर तुम्हारा……….याद आया क्या……
दूसरा : ये साली याद्दाश्त……… कम करना होगा…….वैसे उसे पढ़ कर नहीं उसके …………. से मेरा भेजा खराब हो गया था.
पहला : हाँ….शायद …….सही कहा …साली याद्दाश्त…….. कम करना होगा………मुझे भी…..
सोचता हूँ कि ………… को इस पोस्ट का लिंक ………भाई की तरफ से भेज दूं, कैसा रहेगा कहो तो…….
दूसरा : सॉलिड आईडिया है ……..भाई…
कम्बख्त कम से कम एक बार तो आत्म केश लोचन करेगा ही..
पहला : लेकिन ये ………..भाई का सीक्रेट केवल तुम्हें पता है……किसी को बताना नही…….
दूसरा : आप भी कैसी बात कर रहे हैं.. घर की बात भला बाहर कैसे जायेगी.
पहला : सच में पहला मजा आएगा …..ही…..ही…..
दूसरा : और वो मैं ही था जो पहचान गया था वरना और किसी की क्या बिसात जो आपके नक़ाब में घुसने की जुर्रत कर सकता है. हे…हे…हे…
पहला : तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई, वरना मेरे नकाब में मुंह घुसाता कोई?…घर चलने का समय हो चला है, आज रात में समय निकलता हूँ…….बड़े दिनों से कानों में सुर नहीं घुले…..
दूसरा : अजी हमारे मुंह में तो पान घुला हुआ है…चलिए आज रात को घोल ही डालता हूँ. आपकी पैरोडी बड़ी मज़ेदार होती है..वैसे, नाता तो सच में है कोई न कोई…
पहला : पहले फ़िल्मी पैरोडी की किताब ३० पैसे में आती थी, उसे पढ़-२ के कुछ सीख ही गए……
दूसरा : मेरे एक गीत की पंक्तियाँ..
हम न मिले थे कभी फिर भी जाने पहचाने लगे,
यूँ ही न जाने तुझे क्यूँ हम प्यार करने लगे.
पहला : चोर माल ले गए, लोटे थाल ले गए, मूंग और मसूर की सारी दाल ले गए……..
दूसरा : बड़ी पुरानी पैरोडी याद दिला दी आपने…..
पहला : क्या बात है, तुम तो कुछ भी लिख दो, गीत बन जाएगा…….वाह मैं भी लिखने लगा….
दूसरा : फिर वही काम…चने के झाड़ पर चढ़ाने लगे आप..
पहला : नहीं-२ भईया सच कह रहा हूँ, डिरेक्ट दिल से….., नीरज जी का गीत था…..स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से…….कारवां गुजर गया….गुबार देखते रहे… रफ़ी जी की आवाज में…….
दूसरा : आप सही ही कह रहे होंगे क्यूँ कि मैं तो बहुत दूसरा था मेरा भाई मुझे ये सुनाता था.
डिरेक्ट दिल से…किसी लेख का शीर्षक भी हो सकता है…
पहला : अब तो जो भी मुंह से छूट जाता है, साहित्यिक ही होता है, …..यहाँ तक कि गाली भी………
दूसरा : हमारे यहाँ …………में गाली भी एक महापुराण है…कभी अपना रिसर्च पेश करूँगा आपके लिए अगर बुरा न लगे तो……….जो कुछ भी है वो कूट-कूट कर भरा हुआ है..इतना कि रोकने से भी बाहर बह निकलता है..
पहला : सही कह रहे हो……….आजकल तो सन्नी देओल अस्सी गाँव में शूटिंग कर रहा है……अच्छा तो हम चलते हैं……..
दूसरा : हाँ ये शूटिंग मुंबई के एक सेट पर हो रही है..कुछ दिनों में यहाँ भी शूटिंग होगी. सन्नी दूसरी बार आएगा इससे पहले घातक में..
पहला :अच्छा तो हम चलते हैं……..
दूसरा :हाँ रात को मिलते हैं.
पहला : ओके ….

……………शेष अगले अंक में…………..

नोट: इस पोस्ट की प्रेरणा हरिशंकर परसाई जी की रचना ‘असहमत’ से मिली थी, जिसे वाहिद ने पोस्ट किया था| अंतर इतना है कि उसका पात्र असहमत रहता था पर यहाँ दोनों पात्र एक-दूसरे से सहमत हैं| ये वार्तालाप वास्तविक है बस थोड़े से सेंसर के साथ|

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