Menu
blogid : 3502 postid : 935

मोदी और वाघेला- दोस्त से दुश्मन

अंगार
अंगार
  • 84 Posts
  • 1564 Comments

गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला शनिवार से अहमदाबाद में तीन दिनो के उपवास पर बैठ गए हैं| मोदी गुजरात विश्वविद्यालय के सभागार में अपने 62वें जन्मदिन के मौके पर गुजरात की शांति, एकता और सदभावना के लिए उपवास कर रहे हैं| अपने छात्र जीवन में मोदी इसी विश्वविद्यालय में खुद भी शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं| नरेंद्र मोदी के उपवास को समर्थन देने के लिए लालकृष्ण आडवाणी समेत भारतीय जनता पार्टी के सभी कद्दावर नेता वहाँ पहुंचे हुए हैं| मोदी के पक्ष में एक मजबूत तथ्य यह भी है उन्हें जिस मुस्लिम समुदाय का कट्टर विरोधी कहकर प्रचारित किया जाता है और उनके आलोचक आरोप लगाते हैं कि मोदी ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़की हिंसा को रोकने के बदले परोक्ष रूप से उसे बढ़ावा दिया, उसी मुस्लिम समुदाय के काफ़ी लोग भी इसमें हिस्सेदार बने हैं| उपवास पर जाने से पहले नरेंद्र मोदी ने गुजरात और देश की जनता के नाम दो पत्र लिखे| पहला पत्र उन्होंने गुजरात की जनता के नाम लिखा और एक दिन पहले उन्होंने देश वासियों के नाम पत्र लिखा जिसमें उन्होने कहा कि प्रदेश में किसी का भी दर्द उनका दर्द है और सभी को न्याय दिलाना उनका कर्तव्य है|

 

वहीं दूसरी ओर कभी गुजरात में भाजपा के प्रमुख स्तंभ और मोदी के पक्के दोस्त रहे वाघेला मोदी के अनशन के जवाब में साबरमती आश्रम के बाहर सत्याग्रह पर बैठ गए हैं| हैरत की बात तो यह है कि वाघेला ने अपने सत्याग्रह के लिए है उसी अन्ना हजारे के सत्याग्रह रूपी हथियार का सहारा लिया जिसने कि कुछ दिन पहले ही जनलोकपाल बिल की मांग को लेकर कांग्रेसी नेताओं की खाट खड़ी कर दी थी और जिन पर कांग्रेस ने आरएसस की मदद का आरोप लगाया था| सत्याग्रह पर बैठे शंकर सिंह वाघेला ने नरेन्द्र मोदी से पंद्रह गंभीर सवाल पूछकर उन्हें इन सवालों के जवाब देने की चुनौती दी है| वाघेला ने मोदी से गुजरात दंगों के अलावा कुछ संदेहास्पद पुलिस एनकाउंटर पर भी सवाल पूछे हैं|

 

किसी जमाने में कैंटीन चलाने वाले और आज के भाजपा के कद्दावर नेता नरेंद्र भाई मोदी और एनसीसी के इंस्ट्रक्टर रह चुके शंकर सिंह वाघेला आपस में पक्के दोस्त हुआ करते थे| दोनों ही गुजरात के उत्तरी जिले मेहसाणा से सम्बंध रखते थे, दोनों ही आरएसस और भाजपा से जुड़े हुए थे| तब उन दिनों इन दिनों दोनों दोस्त एक ही बुलेट मोटर साइकल पर जय और बीरू की तरह गुजरात की सड़कों पर घूमा करते थे| तब उन दिनों गुजरात में केशुभाई पटेल का दबदबा होता था| केशुभाई पटेल सौराष्ट्र क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता रहे हैं और दो बार वह गुजरात के मुख्यमंत्री पद तक पहुँचे हैं| उनका मुख्य जनाधार पटेल समुदाय था जिनकी एकजुटता और आर्थिक समर्थता प्रदेश की राजनीति को दिशा देती थी|

 

युवावस्था में एनसीसी राफल्स के प्रति आकर्षित वाघेला ने एनसीसी का ‘सी’ सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद इसमें अंडर आफिसर और वारंट आफिसर के पदों पर भी काम किया| उल्लेखनीय है कि 1995 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए शंकर सिंह वाघेला ने भाजपा के बागियों के साथ हाथ मिला लिया और पार्टी से अलग होने के बाद राष्ट्रीय जनता पार्टी का गठन किया| अक्टूबर 1996 में कांग्रेस के समर्थन से वाघेला ने गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया ली थी। इसके बाद वाघेला की पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया था। आज वाघेला गुजरात में कांग्रेस का सबसे बड़ा नाम हैं| वाघेला ख़ुद पिछड़ी जाति से आते हैं और पिछड़ी जातियों के बीच उनका काफ़ी जनाधार है| 

 

वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी पहली बार 1989 में आडवाणी की रथयात्रा के दौरान अपने ज़ोरदार भाषणों के कारण चर्चा में आए और धीरे-२ भाजपा में उनका कद बढने लगा और बाद में वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और महासचिव भी बने| 2001 में दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए हुए उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद भाजपा नेतृत्व ने केशुभाई पटेल को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और नरेंद्र मोदी को गुजरात की सत्ता सौंप दी| इसके बाद से आज तक मोदी ने मुड़कर नहीं देखा और आज वे न सिर्फ गुजरात की तस्वीर बदल चुके हैं, बल्कि भाजपा में भी उनके रुतबे का आलम यह है कि वे पार्टी से भी ऊपर हो चुके हैं| इस समय अगर भाजपा में दस बड़े नेताओं को चुना जाय तो एक से दस तक सिर्फ और सिर्फ मोदी ही मोदी हैं| अब तो राजनीतक पंडित भी कयास लगाने लगे हैं कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो प्रधानमंत्री के लिए मोदी से बेहतर विकल्प दूर-दूर तक नहीं है|

 

इस तरह दोनों दोस्तों की राहें जुदा हुई तो ख़याल भी जुदा हो गए और आज आलम ये है कि इनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और दुश्मनी अपने चरम पर है| मोदी के अनशन के जवाब में वाघेला भी साबरमती आश्रम के बाहर सत्याग्रह पर बैठ गए हैं और उन पर हिन्दू-मुस्लिम दंगों का गंभीर आरोप लगाते सवाल पूछकर उन्हें इन सवालों के जवाब देने की चुनौती दे रहे हैं| हालांकि मोदी का कद अब वाघेला के कद से कई गुना ऊपर हो गया है| इन दोनों पुराने दोस्तों की कट्टर प्रतिद्वंद्विता और दुश्मनी ये साबित करती है कि नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और हवस के सामने मानवीय संबंध और रिश्ते कोई मायने नहीं रखते|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to Aakash TiwaariCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh