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खुला ख़त आपके नाम

अंगार
अंगार
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(कृपया जागरण जंक्शन विशेष ध्यान दे)


जागरण जंक्शन से जुड़े सभी साथियों को सादर अभिवादन| विशेष रूप से आदरणीय शाही जी के जागरण जंक्शन पर लौटने के लिए और भाई राजकमल जी को लेखों के दोहरे शतक तक पहुँचने के लिए इन दोनों महापुरुषों को और आप सभी को हार्दिक बधाई| उम्मीद है कि आप दोनों यहाँ पर लंबी-२ पारियां खेलेंगे|

व्यस्तता के चलते काफी समय से जागरण जंक्शन से दूर हूँ इसलिए इधर क्या हो रहा है इसकी कुछ भी खबर नहीं थी| कल ही अनुज वाहिद का फोन आया तो पता चला कि कोई शख्श हमारे नाम से लोगों के ब्लॉग्स पर कमेन्ट कर रहा है| आज जागरण जंक्शन की साईट पर जाकर देखा तो यह बात सही निकली| भाई राजकमल जी के लेख ‘दरोगा राजकमल शर्मा’ पर मेरे नाम से दो कमेन्ट हैं जबकि वास्तविकता में मैंने कोई कमेन्ट किया ही नहीं है| बल्कि वास्तविकता तो ये है कि मैं कमेन्ट करना काफी पहले ही बंद कर चुका हूँ| जहां तक मुझे याद पड़ता है मैंने किसी के लेख पर अपना आख़िरी कमेन्ट अरसे पहले किया था और वो कोई महिला ब्लॉगर थी जिन्होंने बाबा रामदेव पर अपने विचार प्रकट किये थे| ऐसा ही कुछ वाहिद के साथ भी हुआ है| अब कोई मेरे या वाहिद के नाम से कमेन्ट कर कौन सा आत्मिक सुख प्राप्त कर रहा है पता नहीं|

मैं कई बार अपनी व्यक्तिगत राय रख चुका हूँ कि लेखों पर सार्वजनिक प्रतिक्रया मेरे विचार से ठीक नहीं है और इससे आपसी वैमनस्य फैलने की संभावना हमेशा बनी रहती है| प्रतिक्रियाओं का तरीका या तो बिलकुल सुरक्षित होना चाहिए या कुछ इस तरीके से हो कि लेखक ही अपने लेख पर प्रतिक्रया देख सके और उनका व्यक्ति विशेष को जवाब दे सके| लेकिन जागरण जंक्शन पर प्रतिक्रया करने का तरीका इतना असुरक्षित है कि कोई भी किसी भी नाम से या ईमेल से प्रतिक्रया कर सकता है और यही हो भी रहा है|

खैर ये मेरी व्यक्तिगत राय है पर इस तरह से मेरा या वाहिद का नाम इस्तेमाल कर लोगों के लेख पर प्रतिक्रया करने की मैं निंदा करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि जागरण जंक्शन इस गंभीर विषय पर ध्यान देगा|

एक बार फिर से आप सभी को अभिवादन और अच्छे लेखन कार्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं|

आपका एक साथी….

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