Menu
blogid : 3502 postid : 1175

दिल्ली गैंग रेप कांड के आगे क्या?

अंगार
अंगार
  • 84 Posts
  • 1564 Comments

बात तो दुःख की है पर कुछ लोगों की संवेदनात्मक नौटंकी देखकर हंसी भी आती है और अफ़सोस भी होता है| दिल्ली गैंग रेप कांड पर जिस तरह से पूरे देश में एक संवेदना की लहर सी चल पडी है, ये इस देश में कोई नई बात नहीं है| ऐसा पहले भी कई बार होता रहा है और पता नहीं कब तक ऐसा ही चलता रहेगा| कभी तंदूर कांड, कभी जेसिका कांड, कभी मधुमिता कांड, कभी असम कांड और कभी कांडों का कांड कांडा कांड आदि-आदि| लेकिन समय के साथ-साथ लोग इन सब बातों को ठीक वैसे ही भूल जाते हैं जैसे कि दूध में आया उफान ठंडा होकर बैठ जाता है| पर कोई ठोस और सकारात्मक पहल कभी नहीं होती|


बात शुरू करता हूँ एक न्यूज चैनल से जिसने अपनी महिला रिपोर्टर्स को तथाकथित अपराध नगरी दिल्ली में रात के समय गश्त लगाकर ये देखने के लिए कहा कि इस नगरी में अपराध और सुरक्षा का माहौल कैसा है| क्या इस चैनल ने इस अभियान के लिए प्रशासन को सूचित किया या इन महिला रिपोर्टर्स के लिए सुरक्षा के प्रबंध किये? यदि इस दौरान किसी महिला रिपोर्टर के साथ कोई अनचाही घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता?


इस अभियान के दौरान चैनल ने दिखाया कि कुछ लड़कों ने एक रिपोर्टर को छेडने की कोशिश की पर कैमरा देखकर भाग गए| ये सब दिखाकर चैनल क्या साबित करने की कोशिश कर रहा था, समझ नहीं आया| विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण में गलत क्या है? लड़कियां या महिलाएं सजावट या श्रृंगार क्या सिर्फ अपनी संतुष्टि के लिए करती हैं या विपरीत सैक्स को आकर्षित करने के लिए? विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण तो प्राकृतिक है फिर चाहे वो मनुष्य हो या कोई अन्य जीवित प्राणी| विपरीत लिंगी के साथ छेड-छाड (अश्लीलता नहीं) और आकर्षित करने की चेष्टाएं तो पुरुष और स्त्री दोनों ही करते हैं| महिलाओं द्वारा पुरुषों से छेड़-छाड के उदाहरण भी हमारे समाज में अक्सर देखने को मिल जाते हैं| तो क्या पुरुष और महिलाएं एक-दूसरे के प्रति संत हो जांय? क्या बचपन से जवान होते समय शरीर में सैक्सुअल हार्मोन्स के परिवर्तनों को रोका जा सकता है जो विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण पैदा करता है और विपरीतलिंगी को आकर्षित करने की चेष्टाएं करता है?


दिल्ली गैंग रेप कांड के बाद पूरे देश में संवेदनात्मक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई| कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता| इस मुद्दे पर बॉलीवुड की कुछ हीरोइनों ने भी अपनी संवेदना प्रकट की है जिनमें करीना कपूर, प्रीती जिंटा, शबाना आजमी प्रमुख हैं| जबकि इन महिलाओं का इस प्रकार के अपराधों को प्रेरणा देने में महत्वपूर्ण योगदान है| हमारी फिल्मों में दिखाए जा रहे बलात्कार, अंग-प्रदर्शन और अश्लील दृश्य समाज के सांस्कृतिक पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन महिलाओं का इसमें विशेष योगदान है जो कला के नाम पर अपना शरीर प्रदर्शन कर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं| करीना कपूर, प्रीती जिंटा, शबाना आजमी जैसी अभिनेत्रियां फिल्मों में अभिनय के नाम पर अक्सर ही अंग-प्रदर्शन, बलात्कार, अविवाहित मां, वेश्या के और अश्लील दृश्य करती आई हैं| शबाना आजमी ने कलात्मक फिल्मों के नाम पर अक्सर ही बलात्कार या नहाने के दृश्य देकर ही नाम कमाया है| यही नहीं अभी हाल ही में इस बुढापे में बोमन इरानी के साथ लिप-लॉक करके भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है| हर हीरोइन में आजकल वेश्या या वैम्प का रोल निभाने का क्रेज है क्योंकि उसे लगता है कि इसी में उसकी असली प्रतिभा का प्रदर्शन हो सकता है|


न केवल अपने प्रोफेशन में बल्कि ये महिलाएं अपने लिविंग स्टाइल से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में भी व्यभिचार को बढ़ावा दे रही हैं| करीना, प्रीती जिंटा, कंगना रानावत, बिपाशा बासु, अमीषा पटेल, कैटरीना जैसी कितनी ही अभिनेत्रियां हैं जो लिव इन रिलेशनशिप में रह चुकी हैं या रह रही हैं और समय-समय पर पार्टनर भी बदलती रही हैं| यही करीना कपूर कभी ऋतिक रोशन, कभी शाहिद कपूर तो कभी सैफ के साथ प्रेम संबंध या लिव इन रिलेशनशिप में रही| इसके अलावा बॉलीवुड की हीरोइनों में ऐसी शादियों का क्रेज चल चुका है जिसमें अभिनेत्रियां अपने से बड़े उम्र और शादीशुदा या तलाकशुदा मर्दों के साथ शादियां कर के सुखी विवाहित जीवन के सपने देख रही हैं। ये महिलाएं अपना घर बसाने के लिए अन्य महिलाओं का घर तोड़ने में सुख पाती हैं| सबसे ताजा मामला विद्या बालान और करीना कपूर का है| विद्या बालान ने सिद्धार्थ रॉय कपूर से शादी की है जो कि उनकी तीसरी शादी है। करीना ने भी यही काम किया और उनकी बहन करिश्मा ने भी| इनसे पहले भी हेमा मालिनी, जयाप्रदा, श्रीदेवी, रवीना टंडन, शिल्पा शेट्टी जैसी कई जानी-मानी अभिनेत्रियों ने यही किया। इन लोगों को ये अहसास नहीं है कि इनकी फिल्मों और जीवन शैली से युवा वर्ग और निचले तबके के लोगों के बीच क्या सन्देश जाता है, जो इन्हें अपना रोल मॉडल समझते हैं| खास तौर पर समाज का निचला तबका जो पिक्चर हॉल में अभिनेत्रियों के अंग प्रदर्शन, अश्लीलता और बलात्कार के दृश्यों पर सीटी बजाता है, अपने दिमाग में सैक्स अपराध के वायरस लेकर घर जाता है|


अफ़सोस की बात तो ये है कि हमारे समाज का एक स्वयंभू बुद्धिजीवी तबका इन अनैतिक कार्यों की हिमायत करता है| प्रेम और स्वतंत्रता के नाम पर ऐसे कार्यों की हिमायत करने वाले इन बुद्धिजीवियों को शायद ये समझने की जरूरत है कि ये अमेरिका नहीं भारत है और यहाँ की संस्कृति उससे बहुत भिन्न है| लिव इन रिलेशनशिप को तो क़ानून मान्यता दे ही चुका है, अब शायद जल्दी ही ‘समलैंगिक’ विवाह को भी मान्यता मिल जायगी|


सिर्फ बड़े परदे पर दिखने वाली ये अश्लीलता फिर भी पहले सीमित दायरे में हुआ करती थी, लेकिन अब छोटा पर्दा यानी कि टेलीविजन, कम्प्यूटर और इन्टरनेट अब इस अश्लीलता को घर-घर पहुंचाने के मुख्य माध्यम बन गए हैं| जिन अश्लील और कामुक दृश्यों को पहले वयस्क बच्चों के सामने देखने से परहेज करते थे, अब पूरा परिवार उन्हें साथ-साथ देखता है| टेलीविजन पर कितने ही ऐसे बेहूदा और बकवास कार्यक्रम परोसे जा रहे हैं जो व्यभिचार को बढ़ावा दे रहे हैं| कॉमेडी कलाकरों की बेहूदगी और अश्लीलता पर पूरा देश ठहाके लगा रहा है|‘बिग बॉस’ में सनी लियोन जैसी पोर्नस्टार को लाना और फिर फिल्मों में अश्लील दृश्य करवाना इस देश में व्यभिचार के प्रसार की एक नई शुरुआत है|


नेता लोग भी इस अवसर पर चूकना नहीं चाहते| कई महिला/पुरुष सांसदों ने इस मामले पर बढ़-चढ कर अपनी प्रतिक्रिया दी| लेकिन क्या सभी राजनीतिक दलों के सांसद इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाने के लिए एकजुट हो सकते हैं? चलिए पुरुषों को छोडिये, महिला सांसद ही ऐसा कर के दिखा दें| घडियाली आंसुओं से किसी का भला नहीं हो सकता| उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पीड़ित लड़की के इलाज के लिए पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहुगुणा से दो कदम आगे बढ़कर लड़की तथा उसके साथी दोनों के इलाज का खर्च उठाने तथा उन्हें नौकरी देने की घोषणा की। क्या उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में इससे पहले बलात्कार पीड़ित नहीं थे? पुलिस के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ देहरादून में ही बीते एक साल में दुराचार के 26 मामले सामने आए जिनमें में से आधा दर्जन मामले ऐसे हैं, जिनमें पांच से कम वर्ष की बच्ची से दुराचार हुआ। पटेलनगर में करीब छह माह पूर्व स्कूल से लौट रही 12 साल की छात्रा को जंगल में अपहरण कर दिनदहाड़े रेप और जुलाई में डोइवाला क्षेत्र में मासूम बच्ची से दुराचार की घटना हुई। फिर कैंट क्षेत्र में बच्ची से शर्मनाक घटना सामने आई। क्या इन पीड़ितों को कभी इस प्रकार की कोई सहायता दी गई, या आगे कभी देंगे? जाहिर है कि जब इस कांड का राष्ट्रीय स्तर पर हल्ला मचा हुआ है तब बहती गंगा में हाथ धोने का सुअवसर मिल गया है| यह भी एक खबर सुर्ख़ियों में रही कि सोनिया गांधी पीड़ित को देखने अस्पताल गईं और लड़की की मां से तीन-चार मिनट तक गले मिलकर लिपटी रहीं| जया भादुड़ी के तो भरे सदन में आंसूं ही बह निकले| इन लोगों की संवेदना तब क्यों नहीं दिखती जब तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है| इस गैंग रेप कांड के दिन ही दिल्ली में दो और रेप कांड भी ख़बरों में आये जिनमें एक तीन साल की बच्ची के साथ हुआ था|


इतने सब हल्ले के बाद होगा क्या? घोषणाएं हो रही हैं कि इस मामले का फैसला फास्ट ट्रैक कोर्ट करेगा, बसों में रात में लाइटें जलेंगी, बसे मालिकों के पास रहेंगी, ड्राइवरों का वैरिफिकेशन होगा, ये होगा वो होगा| पर क्या वास्तव में ये अपराधियों की विकृत मानसिकता में परिवर्तन लाएगा और इससे बलात्कारों में कमी आयेगी? बलात्कार में सिर्फ सात साल की सजा का प्रावधान है| क्यों इस बात पर विचार नहीं किया जाता कि इस सजा को और कडा करने की जरूरत है| बलात्कार की सजा भी उतनी ही कड़ी होनी चाहिए जितनी कि हत्या की, क्योंकि जब किसी मासूम के साथ बलात्कार होता है तब उसके साथ हत्या से भी कहीं बढ़कर होता है| जीवित रहने तक हर दिन मर-मर कर जीना और उस अपराध की शर्मिंदगी महसूस करना जो उसके साथ किसी और ने किया|


क्या हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि यह घटना भी अन्य घटनाओं की तरह भुला नहीं दी जायगी और किसी नए और सख्त क़ानून का सूत्रपात करेगी ?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to आर.एन. शाहीCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh